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चंदन के आगे क्या है? A Life Changing Story

किसी जंगल में एक संत रहते थे। वो रोज एक लकड़हारे को जंगल से लड़कियाँ काट कर ले जाते हुए देखते। एक दिन संत

ने लकड़हारे को बुलाकर कहा,

“तू इतना परिश्रम करता है लेकिन फिर भी दो जून की रोटी नहीं जुगाड़ पाता। जंगल में थोड़ी दूर आगे जायेगा तो तुझे चंदन के वृक्ष मिलेंगे। तू उसे काट कर बेच, 7-10 दिन तक तुझे परिश्रम नहीं करना पड़ेगा।”

ये सुनकर लकड़हारे ने मन में सोचा कि उसकी कई पीढ़ियाँ लकड़ियाँ काटते आ रही है, उससे बेहतर जंगल और वृक्षों को कौन पहचान सकता है? लेकिन फिर भी संत की बात मानकर वो आगे गया और उसे सच में चंदन के वृक्ष मिल गये। उसे बेचने पर उसे इतना धन मिलने लगा कि वो अब 7-10 दिन में एक बार ही जंगल आता था।

एक दिन संत उसे वापस बुलाकर कहा,

“तू बड़ा मूर्ख है! तेरे मन में कभी ये नहीं आया कि चंदन के आगे क्या है? आगे चाँदी की खदान है। एक बार चाँदी निकाल लेगा तो हफ़्तों तक परिश्रम नहीं करना पड़ेगा।”

लकड़हारा संत की बात सुनकर और आगे गया तो सच में चाँदी का खदान मिला। अब वो कई हफ़्तों में एक बार ही जंगल आता।

कहानी इसी तरह आगे बढ़ती गई। लकड़हारे को चाँदी के बाद सोना और सोने के बाद हीरे की खदान मिल गई। अब वो महीनों ने एक बार जंगल आता था। एक दिन संत उसे वापस अपने पास बुलाकर कर कहा,

“तू सच में महामूर्ख है। तूने ये पूछना आवश्यक नहीं समझा की हीरे के आगे क्या है? तेरे मन में ये प्रश्न कभी नहीं आया?”

लकड़हारा अब धनी-संपन्न हो चुका था। उसनें तनिक अकड़ कर संत से कहा,

“अब हीरे से आगे क्या होगा?”

ये सुनकर संत ने कहा,

“अरे मूर्ख, तुझे ये नहीं दिखा कि जिसे सोने और हीरो के खदानों के बारे में पता है, वो यहाँ पेड़ के नीचे बैठ कर क्या करता है? इसे ऐसा क्या मिल गया जो हीरों से भी अनमोल है?”

ये सुनकर लकड़हारा फूट-फूटकर रोने लगा और संत से आगे के बारे में बताने की विनती करने लगा। इस पर संत ने कहा,

“धन के आगे ध्यान है।”

#ध्यान

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